समय बीतता गया पक्षियों का झुण्ड आता- जाता और कई पक्षियों का मैं( बरगद) आसियाना हूँ ।मैं वृक्ष जो हूँ। मैं अन्य जीवों की तरह चल-फिर तो नही सकता किन्तु अपने नियत स्थान पर रहकर सेवा करता हूँ। मेरी शाखाओं में कई पक्षियों ने अपना घोंसला बना रखा था, ओर आज भी रखे है।
उसमे एक कबूतर और कबूतरी भी निवास करते थे। कबूतर बोला जब मैं तुझे नहीं जानता था तब मैं मंदिर की गुम्मद पर आकर बैठता ,तब तुम मंदिर के पास बाले कुँए से जल लेने आती थी।ये रोज का सिलसिला शिव मंदिर के पुजारी ने देखा कि ये कबूतर का जोड़ा रोज प्रातः ओर सायं काल नित्यप्रति आता है परन्तु दूर -दूर बैठ कर एक दूसरे को निहारता रहता है। उन दिनों ,बड़े शांत व स्नेह के भाव से ,मंदिर में भगवान शिव की आराधना करने बाले ऋषि ने अपने तपो वल से हम दोनों की भावनाओं को जान लिया और हमे भोले बाबा के सामने ले जाकर हमरा प्रेम विवाह करा दिया ।तब से यह बरगद का पेड़ हमे रक्षा आश्रय दे रहा हैं।यह सुन कबूतर ओर कबूतरी प्रेम में डूब गए । ऐसा समय आया कि..........
कबूतरी को एक शिकारी ने पिजरे में कैद कर लिया ,
ओर जिस पिंजरे में कैद किया उसमे पहले से एक कबूतर कैद था उसके साथ विवाह कर दिया। आज भी कभी समय मिलता जब तब वह शिव मंदिर आती हैं.....
यह सुनकर बरगद बोला,अरे
कभी नही रूठा मैं किसी से सब रूठते है मुझसे ,
बिखर जाता है परिवार मेरे न रहने से ,
मैं धूरी हूँ चक्र की पकड़े रख्खा स्नेह से।
रूठ नही सकता मैं उन नन्हे पल्लवितों से,
जिसके हर एक पल को सहेजा है पलको से।
प्रत्यगित हूँ मै अपना पूरा जीवन देंने को,
जकड़ा हूँ मैं अकाट्य साँसों की डोर से।
पता है,मैं नीर भरता हूँ धरा की गहराई से,
समेत लेता हूँ मैं गर्म स्वास वायुमंडल से ।
सहेजता हूँ सबको मैं अटल विश्वास से,
संग छोड़ देते हैं अपने भी हवा के बहकावे से।
स्तब्ध सा खड़ा रहता हूँ मैं परिन्दों की आवाज़ से,
आश लगाए लौट आते है, अस्ताचल की आहट से।।
उसमे एक कबूतर और कबूतरी भी निवास करते थे। कबूतर बोला जब मैं तुझे नहीं जानता था तब मैं मंदिर की गुम्मद पर आकर बैठता ,तब तुम मंदिर के पास बाले कुँए से जल लेने आती थी।ये रोज का सिलसिला शिव मंदिर के पुजारी ने देखा कि ये कबूतर का जोड़ा रोज प्रातः ओर सायं काल नित्यप्रति आता है परन्तु दूर -दूर बैठ कर एक दूसरे को निहारता रहता है। उन दिनों ,बड़े शांत व स्नेह के भाव से ,मंदिर में भगवान शिव की आराधना करने बाले ऋषि ने अपने तपो वल से हम दोनों की भावनाओं को जान लिया और हमे भोले बाबा के सामने ले जाकर हमरा प्रेम विवाह करा दिया ।तब से यह बरगद का पेड़ हमे रक्षा आश्रय दे रहा हैं।यह सुन कबूतर ओर कबूतरी प्रेम में डूब गए । ऐसा समय आया कि..........
कबूतरी को एक शिकारी ने पिजरे में कैद कर लिया ,
ओर जिस पिंजरे में कैद किया उसमे पहले से एक कबूतर कैद था उसके साथ विवाह कर दिया। आज भी कभी समय मिलता जब तब वह शिव मंदिर आती हैं.....
यह सुनकर बरगद बोला,अरे
कभी नही रूठा मैं किसी से सब रूठते है मुझसे ,
बिखर जाता है परिवार मेरे न रहने से ,
मैं धूरी हूँ चक्र की पकड़े रख्खा स्नेह से।
रूठ नही सकता मैं उन नन्हे पल्लवितों से,
जिसके हर एक पल को सहेजा है पलको से।
प्रत्यगित हूँ मै अपना पूरा जीवन देंने को,
जकड़ा हूँ मैं अकाट्य साँसों की डोर से।
पता है,मैं नीर भरता हूँ धरा की गहराई से,
समेत लेता हूँ मैं गर्म स्वास वायुमंडल से ।
सहेजता हूँ सबको मैं अटल विश्वास से,
संग छोड़ देते हैं अपने भी हवा के बहकावे से।
स्तब्ध सा खड़ा रहता हूँ मैं परिन्दों की आवाज़ से,
आश लगाए लौट आते है, अस्ताचल की आहट से।।
Translate in English
As time passed, a flock of birds used to come and I (Banyan) of many birds are Asian. I am a tree. I cannot walk and move like other creatures, but I stay and serve at my appointed place. Many birds had built their nests in my branches, and are still kept today.
It also housed a pigeon and a dove. When I did not know you, the pigeon said, I used to sit on the temple's gum, then you used to come to the temple to fetch water from the well, this daily, the priest of the Shiva temple saw that this pigeon pair rose every morning and evening. Everyday comes but keeps looking at each other from far away. In those days, with great calm and affection, the sage, who worshiped Bhavana Shiva in the temple, knew the feelings of both of us with his tapas and took us in front of Bhole Baba and gave us our love marriage. The tree is giving us shelter. Hearing this, the pigeon and the dove got drowned in love. There came a time ……
The pigeon was captured by a hunter in Pijre,
And in the cage in which he was imprisoned, a pigeon was already imprisoned. Even today we get time when she comes to the Shiva temple…
Hearing this, Banyan said, hey
I never get angry with anyone.
The family falls apart because of me,
I am clean with the affection of the wheel.
I can not get angry with those little friends,
Whose every moment is saved from the eyelid.
I am waiting for my whole life,
I am stunned by the dormant breath.
I know, I fill the bottom of the stream,
Including I take from the hot breath atmosphere.
I save everyone with unwavering faith,
They leave you with their own misguided air.
I stand stunned by the voice of the alien,
Hopefully come back, by the sound of Asthachal.
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